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राज्य सरकार हर साल शहर की सड़कों के लिए अलग बजट देती है, निगम, प्राधिकरण व सानिवि भी खर्च करते है बजट

  • फिर भी गड्ढों में ही दिखती रहती है हर सड़क
  • जन प्रतिनिधियों की मेहनत पर फिर रहा पानी

रितेश जोशी
ritesh joshi

RNE Special.

एक कवि ने बीकानेर की सड़कों को देखकर कविता लिखी :-

“मेरा शहर अजीब है
बाकी जगह सड़क में गड्ढे होते है
यहां तो सड़क ही गड्ढों में दिखती है
न जाने कैसा लगाव है गड्ढों से
जुदा होती ही नहीं इनसे”

ये हकीकत है। बीकानेर में कुछ इलाके पश्चिम व पूर्व विधानसभा के ऐसे है, जहां मुक्कमिल सड़क लगातार दिखती ही नहीं । गड्ढों से ही झांकती दिखती है सड़क। जैसे वो गड्ढों का साथ छोड़कर जाना ही नहीं चाहती। उससे जुदा होने की सोचती भी नहीं।

धरणीधर कॉलोनी
धरणीधर कॉलोनी

ये स्थिति तो तब है जब शहर की सड़कों पर हर साल बड़ा बजट खर्च होता है। राज्य सरकार हर विधानसभा के लिए विधायकों की मांग पर अतिरिक्त बजट भी देती है। सड़कों की दशा उसके बाद भी सुधरी नहीं दिखती, ये तो कमाल की बात है।

ये विभाग बनाते है सड़क:

बीकानेर में सार्वजनिक निर्माण विभाग, विकास प्राधिकरण व नगर निगम, ये तीन एजेंसियां सड़क बनाने का काम करती है। जिनका अपना हर साल का अलग से बजट है। फिर भी सड़के सही न रहना ताज्जुब की बात है। ये किसी जादू से कम नहीं।

विधायक की मेहनत पानी में:

विधायक अपनी भागदौड़ करते है, मुख्यमंत्री व सम्बंधित मंत्री से मिलते है। बजट की गुहार लगाते है। बजट मिलता है तो प्रसन्नता होती है। लगता है जन आकांक्षा पूरी होगी। फटाफट विभाग सड़के बनवा देता है मगर एक महीनें तक भी सड़कें पूरी बनी नहीं रहती। विधायक व सरकार की आलोचना आरम्भ हो जाती है। विपक्ष हमलावर हो जाता है, जबकि विधायक तो सड़क के लिए मेहनत करता है। बदले में उसे प्रतिकार मिलता है।

सड़कों की दुर्दशा की ये वजह:

सड़कें जल्द ही टूट जाती है और गड्ढे हो जाते है। इसकी वजह ये है कि ठेकेदार जी शिड्यूल से भी बिलो रेट में टेंडर लेते है। जाहिर है फिर गुणवत्ता पर भी वे असर डालते है। इसमें सम्बंधित एजेंसी के अभियंताओं की भी भूमिका रहती है। कोई भी ये नहीं देखता कि कम दर में कैसे अच्छी सड़क बनेगी। यदि बनेगी तो विभाग के एस्टीमेट बनाने में गड़बड़ी है, उन पर कार्यवाई होना जरूरी है फिर। यदि ऐसा नहीं है तो फिर खराब सड़क का भुगतान कैसे हो जाता है। इसकी जांच होना जरूरी है, ये काम मेहनत करने वाले विधायक कर सकते है।

एक सड़क, तीन एजेंसी बना देती है:

ये भी कमाल की बात है। शहर की अनेक सड़के ऐसी है जिनको पीडब्ल्यूडी, निगम व प्राधिकरण तीनों बना देते है। भुगतान भी तीनों से अलग अलग ठेकेदार उठा लेते है। इस मामले की जांच की जाये तो कई कारनामे सामने आ सकते है।

थोड़ी सी बरसात, सड़क छूमंतर:

कई सड़कें तो ऐसी है जो एक हल्की सी बरसात में ही छूमंतर हो जाती है। बरसात आई और सड़क गायब। इससे साफ जाहिर है कि जिनके हाथ मे सड़क की गुणवत्ता जांचने का अधिकार है, वे लापरवाही बरतते है। तभी यह स्थिति बनती है।

आ गया मानसून, सड़कों की शामत:

अब मानसून सिर पर है और सड़कों की शामत आनी तय है। जो भी पिछले 3 महीनों में सड़के बनी है वे मानसून में गड्ढों में दिखने लगेगी। जन धन पानी के साथ बह जायेगा।

विपक्ष है ज्यादा गुस्से में:

देहात कांग्रेस अध्यक्ष बिसनाराम सियाग का कहना है कि इस शासन में सड़क निर्माण के मामले में लूट मची हुई है। मानसून में सड़के टूट जाती है और लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। पिछले साल भी यही हुआ था। तब कांग्रेस को आंदोलन करना पड़ा था। अगर इस बार ऐसा हुआ तो पार्टी बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेगी।

बिसनाराम सियाग, देहात कांग्रेस अध्यक्ष:

बिसनाराम

शहर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल जादुसंगत का कहना है कि शहर की सड़कों की सही रहती ही नहीं। ठेकेदारों की मिलीभगत के कारण घटिया सड़कें बनती है और खमियाजा जनता को उठाना पड़ता है। जो अब असहनीय है। शहर व देहात कांग्रेस मिलकर इस बार मानसून में हालात बिगड़े तो बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेंगे।

राहुल जादुसंगत, महामंत्री शहर कांग्रेस कमेटी